1. स्पोर्ट्स में फार्म क्या होता है ?
खिलाड़ी के अंदर मौजूद हुनर एवं उनकी भुजाओं में अवस्थित ताकत का सर्वश्रेष्ठ समंजन तथा खेलों अथवा शारीरिक व मानसिक प्रतियोगिता में इसका विवेकपूर्ण इस्तेमाल ही फार्म कहलाता है। इसी समंजन के तहत ही कोई खिलाड़ी अपने अंदर स्थित विशिष्ट हुनर को अपने ताकत व विवेक के बल पर सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन में तब्दील करता है।
2. स्पोर्ट्स में इन फॉर्म और आउट ऑफ़ फॉर्म में क्या अंतर होता है ?
- “ इन फॉर्म “ : कोई खिलाड़ी जिन अतिविशिष्ट गुणों के कारण उच्च स्तरीय टीम में शामिल होता है उन्हीं गुणों के कारण यदि बार-बार और लगातार अपने ही द्वारा स्थापित उच्चतम प्रतिमानों को बारंबार स्पर्श करता है तो वह “ इन फॉर्म ” की अवस्था में होता है।
- “आउट ऑफ़ फॉर्म “ : कोई खिलाड़ी जिन अतिविशिष्ट गुणों के कारण उच्च स्तरीय टीम में शामिल होता है यदि वह उन्हीं अतिविशिष्ट गुणों का इस्तेमाल करते हुए भी यदि बार-बार और लगातार अपने ही द्वारा स्थापित उच्चतम प्रतिमानों को स्पर्श नहीं कर पाता है तो वह “आउट ऑफ़ फॉर्म ” की अवस्था में होता है।
3. खिलाड़ियों के फॉर्म को कौन-कौन तत्व प्रभावित करते हैं ?
किसी भी खिलाड़ी के “IN FORM ” में खेलने के लिए उसका आत्मविश्वास उसके साथ होना बहुत जरुरी है। “OUT OF FORM “ के कारक तत्व खिलाड़ियों के आत्मविश्वास के स्तर को उन्नति और अवनति प्रदान करते हैं जिससे खिलाड़ी के प्रदर्शन में अंतर आता है। “OUT OF FORM” के लिए निम्न तत्व जिम्मेदार होते हैं :
- उपापचय
- फिटनेस का अभाव
- प्रैक्टिस का अभाव
- मनोवैज्ञानिक प्रभाव
- प्रतिबद्धता का अभाव
- मानसिक तनाव
- भौगोलिक प्रतिकूलता
- भोजन का प्रभाव
- शारीरिक कमजोरी
- सेक्स सम्बन्धी समस्याएं
- ग्लैमर का प्रभाव
- अवांछित शारीरिक क्रियाएँ
- शारीरिक व्याधियाँ
- दर्शकों का शोर
- रोशनी का प्रभाव
- घर की यादें तथा
- तात्कालिक विचलन इत्यादि।
4. क्या खिलाड़ियों के फॉर्म को मैनेज किया जा सकता है ?
खिलाड़ियों के फॉर्म को मैनेज किया जा सकता है। उपर्लिखित आउट ऑफ़ फॉर्म के जिम्मेदार तत्व में से सामान्य कारकों को छोड़ कर व्यक्तिगत कारणों पर सूक्ष्म अध्ययन तथा विशलेषण करने पर हम पायेंगे कि ये तत्व मैनेज करने योग्य हैं। इन तत्वों में से शारीरिक भौतिक तत्वों को बाह्य रूप से मैनेज किया जा सकता है। मानसिक व्याधियाँ खिलाड़ियों का व्यक्तिगत मामला होता है और इसके समन के लिए मनोवैज्ञानिक अथवा अध्यात्मिक उपचार कारगर सिद्ध हो सकता है। शारीरिक भौतिक तत्वों को बाह्य रूप से मैनेज करने में सामान्य रूप से समान परिणाम प्राप्त होंगे। लेकिन मानसिक व्याधियों के मनोवैज्ञानिक अथवा अध्यात्मिक उपचार से प्राप्त परिणाम अनिश्चित होंगे।
5. क्या यह पता लगाया जा सकता है कि खिलाड़ी किस अवधि में आउट ऑफ़ फॉर्म में रहेगा ?
खिलाड़ियों का वास्तविक फॉर्म उनके शरीर के अंदर की आन्तरिक क्रियाओं पर आधारित होता है। खिलाड़ियों के शरीर के अन्दर होने वाली उपापचय क्रियाएँ ही उनके फॉर्म के निर्धारक होते हैं। इन अवस्थाओं का सूक्ष्म विशलेषण से यह पता लगाया जा सकता है कि खिलाड़ी किस अवधि में आउट ऑफ़ फॉर्म में रहेगा।
6. क्या यह पता लगाया जा सकता है कि खिलाड़ी कितना मैच ख़राब खेलेगा ?
खिलाड़ियों के शरीर के अन्दर होने वाली उपापचय क्रियाओं का सूक्ष्म विशलेषण से ये पता लगाया जा सकता है कि खिलाड़ी किस अवधि में आउट ऑफ़ फॉर्म में रहेगा। इस अवधि में होने वाले लगभग सभी खेलों में वह असहज महसूस करेगा । इस अवधि में कोई खिलाड़ी आक्रमक खेलने की कोशिश करेगा तो वह नाकाम होगा लेकिन सुरक्षात्मक खेल से वह अपने परफॉरमेंस को कुछ हद तक बचा पाने की स्थिति में हो सकता है।